देश में बालिग लड़का-लड़की को शादी करने के लिए मिले हैं ये कुछ खास अधिकार

September 18,2021Admin

चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं हो सकती। अगर यह शादी होती है तो वह अमान्य होगी। चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि अगर कोई ऐसी शादी करता है या फिर करवाता है या इससे लिए उकसाता है और दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल तक कैद की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।
 
सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशंस के बारे में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ऐसे रिश्ते निभा रही युवतियां कुछ मापदंडों को पूरा करने की स्थिति में ही गुजारा भत्ते की हकदार हो सकती हैं। ऐसी युवतियों को चार शर्तें पूरी करनी होंगी।
युवक-युवती को समाज के सामने खुद को पति-पत्नी की तरह पेश करना होगा।
दोनों की उम्र कानून के अनुसार शादी के लायक हो।
दोनों शादी करने योग्य हों जिनमें अविवाहित होना शामिल है।
वे अपनी मर्जी से साथ रह रहे हों और दुनिया के सामने लंबे समय तक खुद को जीवन साथी के रूप में दिखाएं।
 
अन्य अधिकार - 
बालिग लड़का-लड़की जिनकी मानसिक स्थिति ठीक हो, उनको शादी करने के लिए किसी की इजाजत की दरकार नहीं है।
बालिग लड़का-लड़की को शादी करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत मिला है। इस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता।
अधिकारों के मुताबिक एक बालिग लड़का-लड़की अगर शादी करना चाहते हैं तो उनकी शादी में जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा जैसी चीजें बाधा नहीं बन सकती।
अगर बालिग लड़का-लड़की की शादी में कोई अड़चन पैदा करता है या उन्हें रोकता है तो लड़का-लड़की संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा सकते हैं।
वहीं लड़का-लड़की की शादी हो जाने के बाद अगर उन्हें अपने ही परिजनों से जान का खतरा है तो नवदंपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग भी कर सकते हैं।
 
अन्य अधिकार - 
बालिग लड़का-लड़की जिनकी मानसिक स्थिति ठीक हो, उनको शादी करने के लिए किसी की इजाजत की दरकार नहीं है।
बालिग लड़का-लड़की को शादी करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत मिला है। इस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता।
अधिकारों के मुताबिक एक बालिग लड़का-लड़की अगर शादी करना चाहते हैं तो उनकी शादी में जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा जैसी चीजें बाधा नहीं बन सकती।
अगर बालिग लड़का-लड़की की शादी में कोई अड़चन पैदा करता है या उन्हें रोकता है तो लड़का-लड़की संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा सकते हैं।
वहीं लड़का-लड़की की शादी हो जाने के बाद अगर उन्हें अपने ही परिजनों से जान का खतरा है तो नवदंपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग भी कर सकते हैं।